तेरा आके जाना,
है झूठा जमाना
सताता है मुझको,
ये खाली पैमाना ||
बनावट की बातें
खाली ,काली रातें
रुलाती हैं मुझको
उनकी फरियादें||
कोई सपने संजोता है ,कोई दिन रात रोता है |
कोई महलों में होता है ,कोई फुटपात धोता है |
मेरे मालिक ,ये कैसा है फर्क तेरी बनावट का|
जो पत्थर तोड़ता है शाम तक ,भूँखा सोता है ||
मेरे मालिक ,ये कैसा है फर्क तेरी बनावट का|
ReplyDeleteजो पत्थर तोड़ता है शाम तक ,भूँखा सोता है ||....bahut badhiyaa....bhoonkha ko bhookha kare to our badhiya hogaa.
thanx for ur complement..
ReplyDeleteACHCHHE BHAVON KI RACHNA .
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