[ पहला प्रयास बच्चों के लिए एक कहानी लिखने का ]
रामू अपने गाँव का एक अकेला नौजवान था जो कोई काम धंधा नहीं करता था | गाँव में किसी को भी उसकी उम्र का अंदाज़ा नहीं था | बूढ़े बुजुर्ग बताते थे कि २५ से ३० साल का होगा |रामू का रंग कालापन लिए हुए साँवला था |
कोई नहीं जानता था कि रामू इस गाँव में कब और कैसे आया | लोग उसकी तरफ देखना भी पसंद नहीं करते थे , अगर देखते भी थे तो नफरत भरी नज़रों से || रामू ने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था लेकिन पता नहीं क्यों गाँव वाले उसे पसंद नहीं करते थे | रामू से जब भी हो सकता था वह किसी न किसी तरीके से गाँव वालों की मदद करता रहता था|
हाँ , लेकिन गाँव के बच्चे सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक हमेशा उसको घेरे रहते थे |न बच्चे ही किसी को बताते न ही रामू कि बच्चे उसे इतना पसंद क्यूँ करते थे | एक दिन रामू सुबह सुबह उठा | अभी रात का अँधेरा पूरी तरह से छंटा भी नहीं था और वह कहीं चला गया |
गाँव के लोग उठे और अपने अपने रोजमर्रा के कामों में लग गए | दोपहर बीत गयी , धीरे धीरे शाम हो गयी | बच्चों को उदास देखकर गाँव वालों को महसूस हुआ " कुछ तो बात है "|धीरे धीरे गाँव भर में यह खबर फ़ैल गयी कि रामू गाँव में नहीं है |
किसी को क्या पड़ी थी कि वह , ये खोज खबर करता कि रामू कहाँ गया , जिन्दा भी है या नहीं ?
गाँव के बच्चे धीरे धीरे और उदास रहने लगे बच्चो ने खेलना कूदना भी बंद कर दिया |
गाँव के बच्चे धीरे धीरे और उदास रहने लगे बच्चो ने खेलना कूदना भी बंद कर दिया |
दिन बीतते गए लेकिन रामू वापस नहीं आया | गाँव के लोग चाहते तो नहीं थे लेकिन गाँव के बच्चों का मन रखने के लिए लोगों ने पंचायत बैठाई और इस नतीजे पर पहुंचे कि बच्चों को दिलासा दिया जाए कि रामू शहर में कमाने गया है और कुछ ही दिनों में वापस आ जाएगा|
बच्चों की उदासी थोड़ी बहुत कम हो गयी लेकिन अब भी वे सब रामू को भूल नहीं पाए थे और उसका रास्ता देखते रहते थे |
एक दिन दोपहर का समय था | लोग अपने रोजमर्रा के कामो में लगे थे |
एक दिन दोपहर का समय था | लोग अपने रोजमर्रा के कामो में लगे थे |
गाँव की एक अकेली और पुरानी पगडण्डी पर कोई पतला और काफी ऊँचा साया आता हुआ दिखाई दिया | बच्चे साए की तरफ दौड़े | गाँव वाले डर गए, ये क्या है , ये कौन है |
ज्यादा नज़दीक आने पर गाँव वालों ने देखा "अरे ये तो रामू है "
रामू ने जोकर जैसे कपडे पहने हुए थे और दोनों पैरों में बड़े बड़े बांस बांधकर चला आ रहा था | देखने से लगता था कि रामू के पैर कई मीटर लम्बे हो गए थे | ऊँचा इतना कि वो कई पेड़ों से ऊपर था ,गाँव वाले रामू के बदले हुए रूप को देखकर जल भुन गए | लेकिन गाँव के बच्चे बहुत खुश थे और रामू के पैरों से लिपट कर चिल्लाने लगे
"हमारा रामू आ गया "
"हमारा रामू आ गया "
गाँव के लोग फिर अपने कामों में लग गए , अब रोज रोज रामू का यही काम था कि वो दो तीन बच्चों को अपने कन्धों पर बैठा लेता और शाम तक उन्हें अपनी लम्बी लम्बी टांगों से चलकर काफी ऊंचाई से बाग़ बगीचों की शैर कराता |
जैसे जैसे बच्चे खुश होते रामू के पैर और लम्बे होते जाते कभी कभी तो रामू इतना ऊँचा हो जाता की जमीन से सिर्फ उसके पैर दिखाई देते , मालूम पड़ता की रामू का शरीर बादलों में कहीं खो गया है ,
जब भी बच्चे गाँव वालों को इस बारे में बताते तो उन्हें विश्वाश नहीं होता कि ऐसा भी हो सकता है |
हर जगह कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे दूसरों की ख़ुशी देखी नहीं जाती और ऐसे ही कुछ लोग इस गाँव में भी मौजूद थे | एक रात चुपके से ,रामू से इर्ष्या करने वाले कुछ लोगों ने मिलकर रामू के दोनों लम्बे लम्बे बासों को , जो कि रामू के पैर थे और बच्चो की खुशी ,काटकर कमजोर कर दिया |रामू रोज की तरह अगली सुबह दो तीन बच्चों को कन्धों पर बैठाकर सैर के लिए निकल पड़ा रामू अपनी ही धुन में मस्त होकर चलता गया बच्चे खुश होते रहे और रामू की ऊंचाई बढती गयी क्यूंकि बांस कमजोर कर दिए गए थे अचानक टूट गए |
रामू बच्चों के साथ जमीन पर गिर गया | उसकी दोनों टाँगे टूट गयी लेकिन उसने बच्चों को कुछ नहीं होने दिया | जिन लोगों ने रामू के पैर काटे थे वो खुश हुए की अब रामू क्या करेगा , अब तो रामू की जिंदगी से सारी ख़ुशी गायब हो जायेगी|
लेकिन अब भी सुबह से शाम तक बच्चे रामू के साथ ही रहते उसके साथ खेलते , उसके साथ हँसते , उसे सहारा देते |
रामू खुश था, बच्चे भी खुश थे ,गाँव वाले अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे ||