Sunday, August 15, 2010

मेरी आज़ादी की औकात इतनी ही है

चचा : अरे पप्पू हम आज फिर आजाद हो गए क्या ?
पप्पू : नहीं चचा ,आजाद तो हम १५ अगस्त १९४७ को ही  हो गए थे ,अब ६३  साल हो गए .
चचा : ऐसा क्या ,बेटा पता नहीं चला तो कौन कौन आजाद है आज कल ?
पप्पू : वाह,  कैसे कैसे सवाल पूंछते हो , तुम आजाद हो मैं आजाद हूँ हर कोई आजाद है .
चचा : मैं भी आजाद हूँ क्या ,तो फिर मै जो चाहूं वो कर सकता हूँ क्या ?
पप्पू : हाँ ,हर कोई आजाद  है,लेकिन अपनी अपनी औकात है आज़ादी की  सब के लिए !
चचा : तुम्हारे अब्बा कह रहें थे कि कल शाम को कुछ किसान आन्दोलन कर रहें थे उन पर गोली चला दी गयी और कुछ मर भी गए ,और  तुम कह रहें हो की हर कोई आजाद है  ?
पप्पू : अरे चचा ,तुम नहीं समझोगे कुछ लोग ज्यादा आजाद हैं ,कुछ थोड़े कम हैं
ये विज्ञान  की बात है जब कम आजाद लोग ज्यादा आजाद लोगों के प्रभाव में आ जाते हैं तो कम आजाद वालों की आज़ादी नगण्य हो जाती  है ,
आजाद तो हर कोई है ,
वे  गोली चलाने के लिए आजाद हैं तो हम गोली खाने के लिए आजाद हैं,
वे  मंहगाई बढ़ाने के लिए आजाद हैं तो हम मेहनत करने के लिए आजाद हैं,
वे  जेब  भरने के लिए आज़ाद हैं तो हम खाली करने के लिए  आजाद हैं ,
वे  वादे करने के लिए आज़ाद हैं हम इंतज़ार करने के लिए आज़ाद हैं ,
वे  जनता के लिए कुछ भी करने को आज़ाद हैं तो जनता कुछ भी सहने को आजाद है,
अरे बताया था न चचा ,हर कोई अपनी औकात के हिसाब से आजाद है ,
अरे शुक्र मनाओ चचा कि यहाँ अब अंग्रेज नहीं है ,सारे अपने ही हैं ,
और आज़ादी का मजा लेना है तो अपनी आजादी की औकात बढाओ, कैसे भी ,अच्छे काम करो या बुरे
बस औकात बड़ी हो !
और तुम भी तो आजाद हो चच्ची  पर चिल्लाने के लिए,
आज हर कोई ज़स्न   मना रहा है तुम भी मनाओ ,
जाओ चच्ची  पर खूब चिल्लाओ ,अरे आज हम आजाद हुए थे,
लोगों को पता चलना चाहिए ,
क्यों चचा समझ आया  कुछ ?
चचा (हँसते हुए): हाँ बेटा ,मेरी आज़ादी की औकात इतनी ही है !

2 comments:

  1. हिन्दी ब्लॉगजगत में स्वागत है।
    वाक़ई हम सब आज़ाद हैं।

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