Saturday, August 14, 2010

मुल्क कि यूँ आजादी से क्या होता है

बापू  के आदर्शों को हम भूल गए
वीर हमारे जाने कितने फांसी पर हैं झूल गए
अगर आज भी रातों को भूखा  बचपन सोता है
तुम ही बताओ मुल्क कि यूँ आजादी से क्या होता है
शरेआम  यहाँ माँ बहनों का चीरहरण अब होता है
कानून आंख पर पट्टी बांधे गहरी नींद में सोता है
अगर आज भी युवा देश का रोजगार को रोता है
 तुम ही बताओ मुल्क कि यूँ आजादी से क्या होता है

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