Sunday, May 6, 2012

uninvited 2 show


ये एक ऐसा शो है जिसमे कोई भी आ जाता है बिना बुलाये [ दूसरा शो ]
गेस्ट=>बहुत याद आ रही है अपनी मुनिया की हमै
होस्ट=>मुनिया कौन
गेस्ट=>अरे हमारी बकरी जब भी हमे देखती ऐसे प्यार से मे मे करके बुलाती थी , हम तो समझ गये थे की कितना प्यार करती है हमसे हमारी मुनिया अब तो मे मे सुनने को हम तरस गये
होस्ट=>आप की बकरी ने बोलना बंद कर दिया
गेस्ट=>हाँ भाई
होस्ट=>मतलब ऐसे कैसे बोलना बंद कर दिया हुआ क्या
गेस्ट=>अरे मर गयी हमारी मुनिया अब जब मर गयी तो कैसे बोलेगी आप बोलेंगे मरने के बाद
होस्ट=>अरे तो मैं तो अभी जिंदा हूँ
गेस्ट=>तो मर के बोल के दिखाइए बात करते हैं अरे जब आप मरके नहीं बोल पाएँगे तो उ तो बेचारी छोटी सी जान बकरी ही थी कहाँ बोलेगी मरने के बाद
होस्ट=>अच्छा तो क्या हुआ क्या था आप की मुनिया को
गेस्ट=>क्या होगा अच्छी ख़ासी मुस्टंदी थी इतना ख़याल रखते थे हम उसका खुद खाए चाहे ना खाए उसको कभी भूंका नहीं रहने देते थे
होस्ट=> अरे तो कैसे मर गयी फिर
गेस्ट=> अरे उमर हो गयी थी अच्छा दाम मिला बेच दिए
होस्ट=> तो रो क्यूँ रहे हो
गेस्ट=> बहुत याद आती है मुनिया की
होस्ट=> तो बेचा क्यूँ
गेस्ट=> बकरी पाला क्यूँ था बेचने के लिए ना
होस्ट => तो फिर प्यार क्यूँ कर लिया उस से
गेस्ट=> गाना गुनगुनाते हुए ( प्यार किया नहीं जाता हो जाता है )
होस्ट=> क्या बात है ! जिस से प्यार किया उसी को बेच दिया ये कैसा प्यार है
गेस्ट=> प्यार अँधा होता है ना
होस्ट=> तो
गेस्ट=> अब बकरी से प्यार होगा तो बकरी को तो कटना ही है बकरी का आशिक़ कब तक खैर मनाएगा
होस्ट=> झुझलाते हुए , हो गया तुम्हारा तो अब जाओ
गेस्ट=> अब तो हम कंगाल हो गये कहाँ जाएँगे आप ही कोई इंतज़ाम करवा दो
होस्ट=> क्यूँ जो बकरी बेंच के पैसा मिला उसका क्या किया?
गेस्ट=>मुनिया के गम मे हम पीने लग गये , रोज रोज ठेके पर जाने लगे
होस्ट=>अच्छा
गेस्ट=>अब जब हम ठेके पर जाते तो हमारे पड़ोसी भी मिल जाते वहीं पर और वो भी कहने लगते हमें भी मुनिया की बड़ी याद आ रही है तो हम कहते तुम भी पियो धीरे धीरे पूरे गांव के लोग आने लगे हमारा दुख बाटने बस दुख बाँटते बाँटते हमारी मुनिया की आख़िरी निसानी भी चली गयी
होस्ट=> आख़िरी निसानी
गेस्ट=> हाँ! अरे पैसा जो हमको मिला था बेच के मुनिया को
होस्ट=> तो अब आप दूसरी बकरी खरीद लो ना
गेस्ट=> हाँतो खरीद दो ना
होस्ट=> मैं क्यूँ खरीदने लगा बकरी
गेस्ट=> अब आप के पास आए है हमने सुना है आप बहुत दयालु है , दया की मूर्ति हैं आप से किसी का दुख देखा नहीं जाता (रोते हुए) आप करो ना हमारी मदद
होस्ट=> ये लो 100 रुपये 
गेस्ट=> 100 र्स मे बकरी मिलेगी
होस्ट=> नहीं दारू मिलेगी
गेस्ट=> वाह साहब क्या तरक़ीब निकाली है आपने
अच्छा तो मैं चलता हूँ {और चला गया} {कुछ देर बात एक औरत आई }
लेडी=> हमारे वो आए थे क्या यहाँ
गेस्ट=> अपपके वो को मैं कैसे पहचनुगा
लेडी=> मुनिया की कहानी तो नहीं सुना रहे थे वो
गेस्ट=> अच्छा तो वो थे आपके वो 
लेडी=> वही तो पूछा ना मैने हमारे वो आए थे , आप ने कुछ दिया तो नहीं
गेस्ट=> मुनिया के बारे मे  सुन के बड़ा दुख हुआ हमें
लेडी=> मुनिया हमारा नाम है , और कोई बकरी बकरा नहीं पाला हमने वो तो उनका रोज का काम है साम की दारू का इन्तेzआम करने के लिए, आप ने कुछ दिया तो नहीं
होस्ट=> धीमे से साला बकरी बकरी कर के मुझे बकरा बना गया( ) नहीं नहीं कुछ नहीं दिया , होस्ट ने मूह लटका लिया
लेडी=> फिर ये बच्चू की तरह मूह क्यूँ लटका लिया
होस्ट=> बच्चू  कौन
लेडी=> हमारा कुत्ता

3 comments:

  1. bhaiya.. bahut achchha ,halka fulka sundar hasy hai. bas ise hindi me likho to aur maza aayega.

    ReplyDelete
  2. likha to bada mst hao,pr hindi me likho

    http://blondmedia.blogspot.in/

    ReplyDelete