Sunday, November 28, 2010

मै राहों में चला था दो कदम

मै राहों में चला था दो कदम
स्वप्न बढ़ते गए
बढ़ता गया मेरा भरम
दिखे कंकड़ मुझे मोती
मुझे मोती दिखे कांटे
जो मैंने खूब बांटे
मुझे देता रहा धोखे
खुद मेरा अहम
मै राहों में चला था दो कदम

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