Sunday, September 26, 2010

हरामखोरी की कोई हद नहीं होती

पिछले ३-४ महीनो से अखबार में रोज कुछ न कुछ पढने को मिल रहा है राष्ट्रीयमंडल खेलो के बारें में और इतना कुछ पढने और देखने के बाद हर हिन्दुस्तानी को पता चल गया होगा की  आज कल यहाँ  आँख में धूल नहीं बल्कि धूल में आँख झोंकी जाती है ,
यहाँ दाल में काला नहीं बल्कि काले में दाल होती है  | तीन दिन पहले अखबार में देखा की खिलाडियों की  ठहरने  की जगह पर काफी गन्दगी है ,गन्दगी को साफ़ करने के बजाय ये कहा जा रहा है की  हमारी गन्दगी / सफाई  का लेवल इतना ही  है उनका लेवल और अच्छा होगा ,कुछ लोग ये भी कह रहें हैं जब सारे हिन्दुस्तान में गन्दगी है तो वहां  कैसे सफाई होगी, जितने करोड़ इन खेलो के लिए आवंटित किये गए हैं उतने में दिल्ली ही नहीं शायद सारे देश कि गन्दगी साफ़ की  जा सकती थी | कल संसद में प्रधान मंत्री जी ने कुछ गुस्सा जाहिर किया दिल्ली सरकार  पर और  राष्ट्रीयमंडल खेलो की कमेटी पर, इसके  बावजूद आज अखबार के मुख्य पृष्ठ पर खबर है " " बैठते ही टूट गया अखिल का बेड " "| हमारे देश के कुछ महान लोगों ने अपने अपने कृत्यों से ये साबित कर दिया है की "हरामखोरी की  कोई हद नहीं होती "|

3 comments:

  1. देश के भ्रष्ट नेताओं ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं तोड़ कर कीर्तिमान स्थापित किया है.

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  2. कहाँ रह गए अधूरे सपने.......
    बहुत दिन हो गए.... कुछ लिख नहीं रहे..

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