डंडे के रूप भी बहुत हैं और काम भी |
यही डंडा जब अध्यापक के हाथ में आता है तो छड़ी बन जाता है और न जाने कितने बच्चों के भविष्य बना देता है |माँ बाप के हाथ में हो तो भूत ,भविष्य ,वर्तमान सब सुधार देता है ये तो बात हुई सुधारने की |
बुढ़ापे में हर किसी को सहारे कि जरूरत पड़ती है, बच्चे सहारा दे या न दे ,ये डंडा हमेशा तैयार रहता है |
जादू कि छड़ी के बारे में तो हम सबने सुना है यही डंडा जब पुलिस के हाथ में आ जाता है तो बन जाता है जादू की छड़ी -
डंडा पटक , जो चाहे झटक |
इसी डंडे कि बदौलत आज हर एक देश का झंडा खड़ा है,
बात सम्मान कि हो या अपमान कि ये डंडा हमेशा मौजूद होता है|
डंडा अनंत ,डंडा कथा अनंता |
इसीलिए कहता हूँ - डंडे के हैं रूप अनेक , इसके आगे मत्था टेक |
एक रूप में भी जानता हूँ - हमारे मास्टर साहिब कहते थे .... डंडा पीर है विगड-तिगदे दा... यानि जो बिगड चुके हैं ... उनके लिए डंडा पीर है.
ReplyDeleteप्रयास सार्थक हो रहा है
ReplyDeleteसुरेन्द्र झंझट