बापू के आदर्शों को हम भूल गए
वीर हमारे जाने कितने फांसी पर हैं झूल गए
अगर आज भी रातों को भूखा बचपन सोता है
तुम ही बताओ मुल्क कि यूँ आजादी से क्या होता है
शरेआम यहाँ माँ बहनों का चीरहरण अब होता है
कानून आंख पर पट्टी बांधे गहरी नींद में सोता है
अगर आज भी युवा देश का रोजगार को रोता है
तुम ही बताओ मुल्क कि यूँ आजादी से क्या होता है
No comments:
Post a Comment